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ठहराव-2 / गिरधर राठी
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सम्भव हुआ जो एक बार
- क्या उस की
सम्भावनाएँ अनन्त हैं?
- ’सावधान! आगे भोपाल है!’
- बोल उठा सूत्रधार और
- सड़क पर लगा सूचना-पट्ट ।
पीछे?
अगल-बग़ल?--
शिलालेख शिलालेख...