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कवि रूमी को पढ़ते हुए / अनातोली परपरा
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कवि ने कहा मुझ से
"अन्धकार है मूर्खता और प्रकाश बुद्धिमता"
कोई अन्त नहीं जिनका
लेकिन जब नहीं होती
जीवन में कविता
बुद्धिमता बदल जाती है मूर्खता में
और मूर्खता
ले लेती है जगह मूर्खता की
(रचनाकाल : 1990)