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मौत के बारे में सोच / अनातोली परपरा

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मौत के बारे में सोच

और उलीच मत सब-कुछ

अपने दोनों हाथों से अपनी ही ओर

हो नहीं लालच की तुझ में ज़रा भी लोच


मौत के बारे में सोच

भूल जा अभिमान, क्रोध, अहम

ख़ुद को विनम्र बना इतना

किसी को लगे नहीं तुझ से कोई खरोंच


मौत के बारे में सोच

दे सबको नेह अपना

दूसरों के लिए उंड़ेल सदा हास-विहास

फिर न तुझ को लगेगा जीवन यह अरोच


देख, देख, देख बन्धु !

रीता नहीं रहेगा फिर कभी तेरा मन

प्रसन्न रहेगा तू हमेशा, हर क्षण