भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मौत के बारे में सोच / अनातोली परपरा

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:33, 24 जून 2009 का अवतरण (मौत के बारे में सोच / अनातोली पारपरा का नाम बदलकर मौत के बारे में सोच / अनातोली परपरा कर दिया गया है)

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अनातोली परपरा  » संग्रह: माँ की मीठी आवाज़
»  मौत के बारे में सोच

मौत के बारे में सोच

और उलीच मत सब-कुछ

अपने दोनों हाथों से अपनी ही ओर

हो नहीं लालच की तुझ में ज़रा भी लोच


मौत के बारे में सोच

भूल जा अभिमान, क्रोध, अहम

ख़ुद को विनम्र बना इतना

किसी को लगे नहीं तुझ से कोई खरोंच


मौत के बारे में सोच

दे सबको नेह अपना

दूसरों के लिए उंड़ेल सदा हास-विहास

फिर न तुझ को लगेगा जीवन यह अरोच


देख, देख, देख बन्धु !

रीता नहीं रहेगा फिर कभी तेरा मन

प्रसन्न रहेगा तू हमेशा, हर क्षण