भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नाटक / के० सच्चिदानंदन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:30, 13 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=के० सच्चिदानंदन |संग्रह= }} <Poem> नाटक के बाद अभिने...)
नाटक के बाद
अभिनेता आते हैं मंच पर
अभिवादन करते हैं
नीचे बैठे चरित्रों का
याद किए शब्द ख़त्म हो चुके हैं
दर्शक देते हैं उनके फ़ैले हाथों में
जीवन की रोटी।
अनुवाद : राजेन्द्र धोड़पकर