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कुछ मक़्ते / यगाना चंगेज़ी

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हिजाबो-नाज़ बेजा ‘यास’ जिस दिन बीच में आया।

उसी दिन से लड़ाई ठन गई शेख़ो-बिरहमन में॥


यहीं से सैर कर लो ‘यास’ इतनी दूर क्यों जाओ।

अदम आबाद का डांडा मिला है कूए-क़ातिल से॥


क्या कोई पूछनेवाला भी अब अपना न रहा।

दर्दे-दिल रोने लगे ‘यास’ जो बेगानों से॥