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ज़माना ख़ुदा को खु़दा जानता है / यगाना चंगेज़ी
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चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:30, 14 जुलाई 2009 का अवतरण
ज़माना खु़दा को ख़ुदा जानता है।
यही जानता है तो क्या जानता है॥
वो क्यों सर खपाए तेरी जुस्तजू में।
जो अंजामे-फ़िक्रेरसा जानता है॥
ख़ुदा ऐसे बंदों से क्यों फिर न जाए।
जो बैठा हुआ माँगना जानता है॥
वो क्यों फूल तोड़े वो क्यों फूल सूँघे?
जो दिल का दुखाना बुरा जानता है॥