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एक ख्वाबों का करबला होगा / नोमान शौक़
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एक ख्वाबों का करबला होगा खुश्क आँखों में और क्या होगा
पेड़ साहिल पे जो खड़ा होगा राह मौज़ों की देखता होगा
सैकड़ों लोग चाँद से होंगे कोई लेकिन न आप सा होगा
आसमां पर तो अब्र रोता है मोर जंगल में नाचता होगा
मुझपे अहसां कोई नहीं करना मुझे अहसां और क्या होगा
ये नया शहर है खुदा जाने कैसे लोगों से वास्ता होगा </poem>