भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक ख्वाबों का करबला होगा / नोमान शौक़
Kavita Kosh से
एक ख्वाबों का करबला होगा
खुश्क आँखों में और क्या होगा
पेड़ साहिल पे जो खड़ा होगा
राह मौज़ों की देखता होगा
सैकड़ों लोग चाँद से होंगे
कोई लेकिन न आप सा होगा
आसमां पर तो अब्र रोता है
मोर जंगल में नाचता होगा
मुझपे अहसां कोई नहीं करना
मुझे अहसां और क्या होगा
ये नया शहर है खुदा जाने
कैसे लोगों से वास्ता होगा