भटक रहा है दिमाग़ मेरा
मुझे मिले तो सुराग तेरा
गुलाब वाले अज़ाब निकले
भला भला सा था बाग मेरा
मैं दिल की ऐनक उतार फेंकू
मिले जो उससे दिमाग़ मेरा
न बुझ रहा है कि सो सकूँ मैं
न जल रहा है चिराग मेरा
सभी लुटाते थे जान उस पर
मगर दिल ए बददिमाग़ मेरा