भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तर्के-मुद्दआ कर दे ऐने-मुद्दआ हो जा / असग़र गोण्डवी

Kavita Kosh से
चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:39, 22 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: तर्के-मुद्दआ<ref>अभिलाषाओं का त्याग</ref> कर दे ऐने-मुद्दआ<ref>निर्मल</ref> ह...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तर्के-मुद्दआ<ref>अभिलाषाओं का त्याग</ref> कर दे ऐने-मुद्दआ<ref>निर्मल</ref> हो जा।

शाने-अबद<ref>आत्मसमर्पण करके उसके सेवक बनने का गौरव प्राप्त कर</ref> पैदा कर मज़हरे-ख़ुदा<ref>ईश्वर के प्रकट होने का स्थान</ref> हो जा॥


उसकी राह में मिटकर, बे-नियाज़े-ख़लक़त बन।

हुस्न पर फ़िदा होकर हुस्न की अदा हो जा॥


तू है जब पयाम उसका फिर पयाम क्या तेरा।

तू है जब सदा उसकी, आप बेसदा हो जा॥


आदमी नहीं सुनता आदमी की बातों को।

पैकरे-अमल बनकर ग़ैब की सदा हो जा॥



शब्दार्थ
<references/>