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मौन का हाथ / अरुणा राय

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प्रतिउत्तरर ना मिले
तो बाहर नहीं भटकूंगी अब
बल्कि लौटूंगी
भीतर ही

हृदयांधकार में बैठा
जहां
जल रह होगा तू
वहीं
तेरी मद्धिम आंच में बैठ
गहूंगी
तेरे मौन का हाथ।