भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मौन का हाथ / अरुणा राय
Kavita Kosh से
कुमार मुकुल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:13, 23 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुणा राय }} <poem> पुकारने पर प्रतिउत्तरर ना मिले ...)
पुकारने पर
प्रतिउत्तरर ना मिले
तो बाहर नहीं भटकूंगी अब
बल्कि लौटूंगी
भीतर ही
हृदयांधकार में बैठा
जहां
जल रह होगा तू
वहीं
तेरी मद्धिम आंच में बैठ
गहूंगी
तेरे मौन का हाथ।