भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मृगनैनी की पीठ पै बेनी लसै / गँग
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:33, 29 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गँग }} Category:पद <poeM>मृगनैनी की पीठ पै बेनी लसै, सुख स...)
मृगनैनी की पीठ पै बेनी लसै, सुख साज सनेह समोइ रही।
सुचि चीकनी चारु चुभी चित मैं, भरि भौन भरी खुसबोई रही॥
कवि 'गंग जू या उपमा जो कियो, लखि सूरति या स्रुति गोइ रही।
मनो कंचन के कदली दल पै, अति साँवरी साँपिन सोइ रही॥