भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
साहब तेरी देखौं सेजरिया हो / धनी धरमदास
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:30, 5 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धनी धरमदास }} Category:पद <poeM>साहब तेरी देखौं सेजरिया ...)
साहब तेरी देखौं सेजरिया हो॥
लाल महल कै लाल कंगूरा, लालिनि लाग किवरिया हो।
लाल पलँग कै लाल बिछौना, लालिनि लागि झलरिया हो॥
लाल साहेब की ललिनि मूरत, लालि लालि अनुहरिया हो।
'धरमदास बिनवै कर जोरी, गुरु के चरन बलहरिया हो॥