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दोस्त भी कोई बनाना चाइए / प्रेम भारद्वाज
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दोस्त भी कोई बनाना चाहिए
दुश्मनों को भी जताना चाहिए
हाँ मरीज़ों से मिलो बोलो सुनों
कुछ दवा दारू दिलाना चाहिए
वैद या दाई को पाग़ल करे
रोग क्या इतना छुपाना चाहिए
आ पड़े ढोलक गले में जब कभी
ताल में उसको बजाना चाहिए
हो नहीं तकलीफ भी मेहमान से
सोचकर कौआ उड़ाना चाहिए
प्रेम बेशक ग़ूढ़ है उससे तेरा
क्या उसे ऐसे जताना चाहिए