भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फूलन दै अबै टेसू कदम्बन / किशोर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:18, 6 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=किशोर }} Category:पद <poeM>फूलन दै अबै टेसू कदम्बन, अम्बन...)
फूलन दै अबै टेसू कदम्बन, अम्बन बौरन छावन दै री।
री मधुमत्त मधूकन पुंजन, कुंजन सोर मचावत दै री॥
क्यों सहिहै सुकुमारि 'किसोर' अरी कल कोकिल गावन दै री।
आवत ही बनिहै घर कंतहि, बीर बसंतहि आवन दै री॥