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जाने दे अब यार विजय / विजय वाते
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जाने दे अब यार विजय,
चालें है दो चार विजय
हर पल आग बरसती है
सूरज थानेदार विजय
तेरा गम तेरा ही है,
बाकी भागीदार विजय
दिन भर हँसता रहता है,
तू कितना लाचार विजय
बोझ बहुत है ढाँढस में,
वापस कर साभार विजय
एक अकेला तू ही नहीं है,
दुखिया सब संसार विजय