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कविता होती है बस / नंदकिशोर आचार्य
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कहीं कुछ भी नहीं है
जो था
जो है
नहीं था वह कभी
ढूँढ़ते फिरें वैयाकरण
रिश्ता है का था से।
कविता होती है बस
कभी वह थी नहीं होती।