भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अर्थ / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:31, 15 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=कवि का कोई घर नहीं होता ...)
तुम्हारा अर्थ वह है
सिर्फ़
जो मुझसे बरामद है
वही पाता हूँ मैं लेकिन
तुमने जो बनाया है
मुझे।
अपना अर्थ तुम ख़ुद हो
हाँ, पर पाना उसे
मुझ में से गुज़रना है।