भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रचा तो रहा / साँवर दइया
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:52, 15 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=साँवर दइया |संग्रह= }} <Poem> मैं न सही मेरी जगह मेरा र...)
मैं न सही
मेरी जगह
मेरा रचा तो रहा
चलो अच्छा है
इसी बहाने
मैं कुछ बचा तो रहा ।