भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भक्त कवि / नंदकिशोर आचार्य

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:00, 16 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=कवि का कोई घर नहीं होता ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुक्ति चाहूंगा ही क्यों मैं,
बंध ही गया जब तुमसे?

तभी जाना है : मुक्ति क्यों नहीं चाही
भक्त कवियों ने
चाहा तो बस भक्ति में रहना

संयोग हो चाहे
वियोग में होना।