भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
होना / केशव
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:36, 22 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=अलगाव / केशव }} {{KKCatKavita}} <poem>यह भी कितना स...)
यह भी कितना सुन्दर है
अकेले राह पर होना
अनगिनत मोड़ों में खुलते
आकाश ओढ़क्र सोना
एकाकी राह पर चलते
निरंतर फासला बोना