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आओ शोर मचाएँ / श्याम सुन्दर अग्रवाल
Kavita Kosh से
बड़ा मजा आता है हमको,
हम तो शोर मचाएँगे,
हमको पता है टीचर जी,
आकर डाँट लगाएँगे।
करे न ज़रा शरारत कोई,
ज़रा नहीं शोर मचाएँ।
चुप रहना है खेल बड़ों का,
हम कैसे समय बिताएँ?