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बुझ गया दिल हयात बाकी है / ख़ुमार बाराबंकवी

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बुझ गया दिल हयात बाकी है
छुप गया चाँद रात बाकी है

हाल-ऐ-दिल उन से कह चुके सौ बार
अब भी कहने की बात बाक़ी है

रात बाकी थी जब वो बिछड़े थे
कट गई उम्र रात बाक़ी है

इश्क में हम निभा चुके सब से ऐ 'खुमार'
बस एक ज़ालिम हयात बाकी है