भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वह / अशोक वाजपेयी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:45, 5 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = अशोक वाजपेयी }} {{KKCatKavita‎}} <poem> चुम्बन में आलिंगन में ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चुम्बन में
आलिंगन में
मर्दन में
रमण में
पारंगत वह
रसभरी परिपक्व रूपाम्बरा।

फिर भी
झिझक भरी
संकोच भरी
लाज भरी
अबोध प्रिया है वह
रूपाभा से दमकती युवती वह।


रचनाकाल :1990