अभी खड़ा था
यही कोई लाख वर्षों से
समुद्र की देह पर
चुपचाप
निहार रहा था हमें
हार-थक कर एक झटके में
वह टूटा
पिघला
और मिनटों में खो गया
समुद्र में ।
अभी खड़ा था
यही कोई लाख वर्षों से
समुद्र की देह पर
चुपचाप
निहार रहा था हमें
हार-थक कर एक झटके में
वह टूटा
पिघला
और मिनटों में खो गया
समुद्र में ।