आस्था का उजाला / पुष्पिता
प्रवासी भारतवंिशयों ने
सात-समुदर् पार
सूरीनाम की धरती पर रचे हैं -
संस्कृत-िमंिदर
कृष्ण-राधा मंिदर
गायत्री मंिदर
विष्णु मंिदर
दुगार् मंिदर
शिव मंिदर
आयर्-समाजियों की यज्ञशालाएं,
भीतर जिनके भगवान ़ ़ ़देवी ़ ़ ़देवता
रामायण, पुराण आैर गीत।
सूयर्
मंिदर के शिखरों से पहंुचता है -
आस्था बनकर
पाषाण प्रतिमा में
आैर सौंपता है -
इन पावन मंिदरों की
प्राचीन तेजस्वी अखंड ज्योति
वह सरनामी उपासकों की आंखों में
उतरता है साधना की शक्ति बनकर
सूयर्
सरनामी मस्िजदों की मीनारों से
उतर जाता है -
हर पहर की अजान में
अजान से कुरान में
कुरान से लफ़्ज़ में
इबारत से इंसान में
इंसानियत बनकर
सूयर्
सरनामी गिरजाघरों के भीतर पहंुचता है -
प्राथर्ना के शब्दों में
प्रकाश बनकर
घड़ी के घंटों में
सुनाई देता है -
उजास का स्वर ढलकर
सूयर्
सरनामी भक्तजनों के
नन्हें घरौंदों में
आस्था का प्रतिरूप है -
बिना भेदभाव के
मानवता के समथर्न में