भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बिखरे लफ़्ज़ / रंजना भाटिया
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:24, 17 सितम्बर 2009 का अवतरण
1
मीठी इच्छा
कुछ दिन
नभ पर
हमें भी तो
चमकाने दो
जाओ चाँद
तुम छुट्टी पर
2
मीठी इच्छा
हवा के पंखो
पर बने
एक आशियाना
सात गगन का
हो बस एक आसमान...
3
कविता
ज़िंदगी कविता ....
या
कविता ज़िंदगी...
यह सोचते सोचते
कई पन्ने रंग दिए
कई लम्हे गुज़ार दिए ...
4
सपने
शबनम के कुछ कतरे
यादो के जाल में
धीरे से चुपके से
बस यूँ ही आखो में
उतर आते हैं
कभी ना सच होने के लिए !
5
तेरी यादे
दिल में दबी हुई
कुछ अंतिम साँस जैसी
कोई कब्र गाह मिले
तो इनको चुपके से दफ़ना दूँ !
6
बिंब
तेरे मेरे प्यार का
एक मिला जुला चेहरा
जिसे दुनिया अब :
""हमारा"" कहती है !!