भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फलों में स्वाद की तरह / केदारनाथ सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:09, 25 सितम्बर 2009 का अवतरण
जैसे आकाश में तारे
जल में जलकुम्भी
हवा में आक्सीजन
पृथ्वी पर उसी तरह
मैं
तुम
हवा
मृत्यु
सरसों के फूल
जैसे दियासलाई में काठी
घर में दरवाज़े
पीठ में फोड़ा
फलों में स्वाद
उसी तरह...
उसी तरह...