Last modified on 27 सितम्बर 2009, at 16:27

मेरी सीमाएँ बतला दो / हरिवंशराय बच्चन

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:27, 27 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन |संग्रह=एकांत-संगीत / हरिवंशरा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरी सीमाएँ बतला दो!

यह अनंत नीला नभमंड़ल,
देता मूक निमंत्रण प्रतिपल,
मेरे चिर चंचल पंखों को इनकी परिमित परिधि बता दो!
मेरी सीमाएँ बतला दो!

कल्पवृक्ष पर नीड़ बनाकर
गाना मधुमय फल खा-खाकर!-
स्वप्न देखने वाले खग को जग का कडुआ सत्य चखा दो!
मेरी सीमाएँ बतला दो!

मैं कुछ अपना ध्येय बनाऊँ,
श्रेय बनाऊँ, प्रेय बनाऊँ;
अन्त कहाँ मेरे जीवन का एक झलक मुझको दिखला दो!
मेरी सीमाएँ बतला दो!