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क्या ध्येय निहित मुझमें तेरा? / हरिवंशराय बच्चन
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क्या ध्येय निहित मुझमें तेरा?
जन-रव में घुल मिल जाने से,
जन की वाणी में गाने से
संकोच किया क्यों करता है यह क्षीण, करुणतम स्वर मेरा?
क्या ध्येय निहित मुझमें तेरा?
जग-धारा में बह जाने से,
अपना अस्तित्व मिटाने से
घबराया करता किस कारण दो कण खारा आँसू मेरा?
क्या ध्येय निहित मुझमें तेरा?
क्यों भय से उठता सिहर-सिहर,
जब सोचा करता हूँ पल-भर,
उन कलि-कुसुमों की टोली पर,
जो आती संध्या को, प्रातः को कूच किया करती ड़ेरा?
क्या ध्येय निहित मुझमें तेरा?