भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मत मेरा संसार मुझे दो / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:15, 28 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन |संग्रह=एकांत-संगीत / हरिवंशरा...)
मत मेरा संसार मुझे दो!
जग की हँसी, घृणा, निर्ममता
सह लेने की तो दो क्षमता,
शांति भरी मुस्कानों वाला यदि न सुखद परिवार मुझे दो!
मत मेरा संसार मुझे दो!
ज्योति न को ऐसी तम घन में,
राह दिखा, दे धीरज मन में,
जला मुझे जड़ राख बना दे ऐसे तो अंगार मुझे दो!
मत मेरा संसार मुझे दो
योग्य नहीं यदि मैं जीवन के,
जीवन के चेतन लक्षण के,
मुझे खुशी से दो मत जीवन, मरने का अधिकार मुझे दो!
मत मेरा संसार मुझे दो