भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यातना जीवन की भारी / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:24, 28 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन |संग्रह=एकांत-संगीत / हरिवंशरा...)
यातना जीवन की भारी!
चेतनता पहनाई जाती
जड़ता का परिधान,
देव और पशु में छिड़ जाता है संघर्ष महान!
हार की दोनों की बारी!
तन मन की आकांक्षाओं का
दुर्बलता है नाम,
एक असंयम-संयम दोनों का अंतिम परिणाम!
पूण्य-पापों की बलिहारी!
ध्येय मरण है, गाओ पथ पर
चल जीवन के गीत,
जो रुकता, चुप होता, कहता जग उसको भयभीत!
बड़ी मानव की लाचारी!
यातना जीवन की भारी!