भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं न सुख से मर सकूँगा / हरिवंशराय बच्चन

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:49, 29 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन |संग्रह=एकांत-संगीत / हरिवंशरा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं न सुख से मर सकूँगा!

चाहता जो काम करना,
दूर है मुझसे सँवरना,
टूटते दम से विफल आहें महज मैं भर सकूँगा!
मैं न सुख से मर सकूँगा!

गलतियाँ-अपराध, माना,
भूल जाएगा जमाना,
किंतु अपने आपको कैसे क्षमा मैं कर सकूँगा!
मैं न सुख से मर सकूँगा!

कुछ नहीं पल्ले पड़ा तो,
थी तसल्ली मैं लड़ा तो,
मौत यह आकर कहेगी अब नहीं मैं लड़ सकूँगा!
मैं न सुख से मर सकूँगा!