भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैं समय बर्बाद करता / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:00, 1 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन |संग्रह=आकुल अंतर / हरिवंशराय ब...)
मैं समय बर्बाद करता।?
प्रायशः हित-मित्र मेरे
पास आ संध्या-सबेरे,
हो परम गंभीर कहते--मैं समय बर्बाद करता।
मैं समय बर्बाद करता?
बात कुछ विपरीत ही है,
सूझता उनको नहीं है,
जो कि कहते आँख रहते--मैं समय बर्बाद करता।
मैं समय बर्बाद करता?
काश मुझमें शक्ति होती
नष्ट कर सकता समय को,
औ’समय के बंधनों से
मुक्त कर सकता हृदय को;
भर गया दिल जुल्म सहते--मैं समय बर्बाद करता।
मैं समय बर्बाद करता?