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आँसुओं से धुली ख़ुशी की तरह / बशीर बद्र
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आंसुओं से धुली ख़ुशी की तरह
रिश्ते होते हैं शायरी की तरह
जब कभी बादलों में घिरता है
चाँद लगता है आदमी की तरह
किसी रोज़न किसी दरीचे से
सामने आओ रोशनी की तरह
सब नज़र का फ़रेब है वर्ना
कोई होता नहीं किसी की तरह
खूबसूरत, उदास, ख़ौफ़जदा
वो भी है बीसवीं सदी की तरह
जानता हूँ कि एक दिन मुझको
वक़्त बदलेगा डायरी की तरह