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जीवन का यह पृष्ठ पलट मन / हरिवंशराय बच्चन
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जीवन का यह पृष्ठ पलट, मन।
इसपर जो थी लिखी कहानी,
वह अब तुझको याद जबानी,
बारबार पढ़कर क्यों इसको व्यर्थ गँवाता जीवन के क्षण।
जीवन का यह पृष्ठ पलट, मन।
इसपर लिखा हुआ है अक्षर
जमा हुआ है बनकर ’अक्षर’,
किंतु प्रभाव हुआ जो तुझपर उसमें अब कर ले परिवर्तन।
जीवन का यह पृष्ठ पलट, मन।
यहीं नहीं यह कथा खत्म है,
मन की उत्सुकता दुर्दम है,
चाह रही है देखें आगे,
ज्योति जगी या सोया तम है,
रोक नहीं तू इसे सकेगा, यह अदृष्ट का है आकर्षण।
जीवन का यह पृष्ठ पलट, मन!