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तू तो जलता हुआ चला जा / हरिवंशराय बच्चन
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तू तो जलता हुआ चला जा।
जीवन का पथ नित्य तमोमय,
भटक रहा इंसान भरा-भय,
पल भर सही, परग भर को ही कुछ को राह दिखा जा।
तू तो जलता हुआ चला जा।
जला हुआ तू ज्योति रूप है,
बुझा हुआ केवल कुरूप है,
शेष रहे जब तक जलने को कुछ भी तू जलता जा।
तू तो जलता जा, चलता जा।
जहाँ बनी भावों की क्यारी,
स्वप्न उगाने की तैयारी,
अपने उर की राख-राशि को वहीं-वहीं बिखराजा।
तू तो जलकर भी चलता जा।