Last modified on 2 अक्टूबर 2009, at 20:48

यह एक रश्मि / हरिवंशराय बच्चन

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:48, 2 अक्टूबर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

(१)
यह एक रश्मि--
पर छिपा हुआ है इसमें ही
ऊषा बाला का अरुण रूप,
दिन की सारी आभा अनूप,
जिसकी छाया में सजता है
जग राग रंग का नवल साज।
यह एक रश्मि!

(२)
यह एक बिंदु--
पर छिपा हुआ है इसमें ही
जल-श्यामल मेघों का वितान,
विद्युत-बाला का वज्र ज्ञान,
जिसको सुनकर फैलाता है
जग पर पावस निज सरस राज।
यह एक बिंदु!

(३)
वह एक गीत--
जिसमें जीवन का नवल वेश,
जिसमें जीवन का नव सँदेश,
जिसको सुनकर जग वर्तमान
कर सकता नवयुग में प्रवेश,
किस कवि के उर में छिपा आज?
वह एक गीत!