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विश्व सारा सो रहा है / हरिवंशराय बच्चन
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विश्व सारा सो रहा है!
हैं विचरते स्वप्न सुंदर,
किंतु इसका संग तजकर,
अगम नभ की शून्यता का कौन साथी हो रहा है?
विश्व सारा सो रहा है!
अवनि पर सर, सरित, निर्झर,
किन्तु इनसे दूर जाकर,
कौन अपने घाव अंबर की नदी में धो रहा है?
विश्व सारा सो रहा है!
न्याय न्यायाधीश भूपर,
पास, पर, इनके न जाकर,
कौन तारों की सभा में दुःख अपना रो रहा है?
विश्व सारा सो रहा है!