भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कहाँ आँसुओं की ये सौगात होगी / बशीर बद्र

Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:17, 4 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बशीर बद्र |संग्रह=उजाले अपनी यादों के / बशीर बद्...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कहाँ आँसुओं की ये सौगात होगी
नए लोग होंगे नयी बात होगी

मैं हर हाल में मुस्कराता रहूँगा
तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी

चराग़ों को आँखों में महफूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी

न तुम होश में हो न हम होश में है
चलो मयकदे में वहीं बात होगी

जहाँ वादियों में नए फूल आएँ
हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी

सदाओं को अल्फाज़ मिलने न पायें
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी