भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खंडहर में लौटी एक चिड़िया / शिवप्रसाद जोशी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:17, 6 अक्टूबर 2009 का अवतरण ("खंडहर में लौटी एक चिड़िया / शिवप्रसाद जोशी" सुरक्षित कर दिया [edit=sysop:move=sysop])

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खंडहर में लौटी एक चिड़िया
और उसने कहा ये मेरा घर है
किताबें खेत और बर्तन
पानी में लौट गए
वहीं डूबी याद

किसी को लौटना पड़ा
कि जाना ही है देर सबेर
अचानक लौट आई हवा
कि बाहर तूफ़ान है
इच्छा ने कहा
भूल गई लौटना है
बताओ कहां जाऊँ मैं
वो दूर कोने में कौन खड़ा है
और उसका बदन भीगा हुआ है
प्रेम
अब लौटो तुम भी जहाँ से आए हो
रुको तोलिये से बाल और शरीर पोंछ लो

मैं भी लौटूंगा
अपनी उदासी में।