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तुही है बहकते हुओं का इशारा / माखनलाल चतुर्वेदी

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तुही है बहकते हुओं का इशारा,
तुही है सिसकते हुओं का सहारा,
तुही है दुखी दिलजलों का ’हमारा,
तुही भटके भूलों का है धुर का तारा,

जरा सीखचों में ’समा’ सा दिखा जा,
मैं सुध खो चुकूँ, उससे कुछ पहले आ जा।