भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
साँवरो रूप / देव
Kavita Kosh से
Rajeevnhpc102 (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:15, 9 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: देव मैं सीस बसायो सनेह के भाल मृगम्मद बिन्दु के भाख्यो।<br /> कंचुकी ...)
देव मैं सीस बसायो सनेह के भाल मृगम्मद बिन्दु के भाख्यो।
कंचुकी में चुपरयो करि चोवा लगाय लयो उर सो अभिलाख्यो।
लै मख्तूल गुहै गहने रस मूरतिवन्त सिंगार कै चाख्यो।
साँवरे स्याम को साँवरो रूप में नैननि में कजरा करि राख्यो॥