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सात शिशु कविताएँ / दीनदयाल शर्मा

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1.

आसमान में सबसे न्यारा
सूरज एक सितारा है,
अन्धकार को दूर भगाता
हर घर का उजियारा है।

2.

खेलेंगे हम सारे बच्चे,
इक दूजे के आगे-पीछे
जुड़ कर रेल बनाएंगे
गीत ख़ुशी के गाएंगे।

3.

चिड़ी कबूतर मेरे साथी
दाने इन्हें खिलाता हूँ,
दाने जब ये खा लेते हैं,
पानी इन्हें पिलाता हूँ।

4.

रिमझिम-रिमझिम बरखा होती,
नहाने को मन करता है,
जब नहलाती मम्मी मुझको,
मेरा मन क्यूँ डरता है।

5.

हमें देर हो जाती जिस दिन
सर जी करते खूब धुनाई
जब सर जी देर से आते, पापा!
उनकी करता कौन खिंचाई।

6.

फर्र-फर्र फर्राटे भरता
रंग-रंगीला पतंग हमारा,
आसमान में उड़ जाता है
पाकर मेरा एक इशारा।

7.

फूलों में तुम फूल-सी प्यारी
सब जीवों में हो तुम न्यारी
रंग-बिरंगी पाँख तुम्हारी
तितली तुम मुझे लगती प्यारी|