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टेबल पर बैठी लड़की / रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति
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काम में व्यस्त लड़की चुप है जैसे बन्द खिड़की
कोई शाख पेड़ के लिए झुलसती है
जैसे धूप में लड़की
लड़की काम करते हुए उदास होती है
जैसे छत से जाती हुई धूप उदास होती है
वह हँसती है तो देश की सुबह होती है
लड़की काम में व्यस्त होती है तो
दुनिया व्यस्त होती है
लड़की मन लगाकर काम करती है
सारी दुनिया भी मन लगाती है
लड़की प्यार में उतरती है
दुनिया भी प्यार करती है
लड़की एक दुनिया है और काम में व्यस्त है।