प्रभु प्रतीक्षा कर रहे हैं / येलेना रेरिख़
शरीर की नश्वरता के कष्ट क्यों सहें
क्यों सहें नष्ट होना उसका जिसे प्रदान किया तुम्हें
स्वयं सृष्टा ने।
खोज निकालो नए-नए मार्ग-
जीवन की कठिनाइयों के बीच।
मैं यहाँ हूँ। तुम्हारे प्रभु तुमसे बात कर रहे हैं।
खुल कर बातें करो हमसे !
दबने मत दो अपने को जीवन में !
ओ ब्रह्माण्ड के रचयिता,
स्वर्ग के शिखर, कीर्तियों की कीर्ति !
आरम्भ के महान् अव्यक्त,
अन्त के प्रव्यक्त !
हाँ, हाँ, हाँ !
जहाँ आरम्भ है अन्त भी वहीं है !
ख़ुशियाँ मनाओ अपने मार्ग पर !
कृतज्ञ रहो धनागार के दाता के प्रति !
वह सुनेगा तुम्हारी प्रार्थना,
भारी कोलाहल के बीच ।
ग़लती न करना निराशाओं से घिरा होने पर।
दस्तक देना मेरे द्वार पर
मेरे द्वारों पर ताले नहीं होते
प्रभु प्रतीक्षा कर रहे हैं घर के भीतर,
प्रभु की मेज़ पर रखे व्यंजनों पर नहीं,
बल्कि उसके शब्दों पर ध्यान देना !
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह