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उड़ने का आनन्द / येलेना रेरिख़

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मरुस्थलों के पार
समुद्रों और पर्वतों के पार
मात्र एक साँस में पहुँच जाते हो तुम।

हम मिलते हैं वहाँ आमने-सामने
स्थान का अस्तित्व नहीं होता वहाँ
न ही समय का।
वहीं प्रकट होती है ज्ञान की शक्ति।
जब पंख हों आसान है पार करना फ़ासले,
मैं कहूंगा उनके लिए आसान है
जिन्हें अहसास है कि उनके पास पंख हैं ।
पर जिन्हें स्वादिष्ट लगता है सांसारिकता का प्याला
वे नहीं उड़ते ।
कहाँ जाएंगे अपनी ख़ुशियों से भागकर ।
अपने अनुभव से पताचलेगा तुम्हें
सांसारिक इच्छाओं की निस्सारता का।
यह सत्य इतना ही सरल है जितनी की अन्य वस्तुएँ।

उड़ान भरो अपने विचारों के साथ,
उड़ान भरो अपने प्रेम के बल,
सत्य के अंगीकार के बल।

तुम्हें अहसास होगा उड़ने के आनन्द का,
नीचे रह जाएंगे जीवन के गह्वर,
दिखाई देगा तुम्हें भी
ज्वलन्त आभाओं का चमत्कार
दक्षिणी सलीब की विराटता के समीप।


मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह