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पी जा हर अपमान / बालस्वरूप राही
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पी जा हर अपमान और कुछ चारा भी तो नहीं !
तूने स्वाभीमान से जीना चाहा यही ग़लत था
कहाँ पक्ष में तेरे किसी समझ वाले का मत था
केवल तेरे ही अधरों पर कड़वा स्वाद नहीं है
सबके अहंकार टूटे हैं तू अपवाद नहीं है
तेरा असफल हो जाना तो पहले से ही तय था
तूने कोई समझौता स्वीकारा भी तो नहीं !