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तेरे लिये बेताब हैं अरमाँ कैसे / जाँ निसार अख़्तर

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तेरे लिये बेताब हैं अरमाँ कैसे
दर आ मेरे सीने में किसी दिन ऐसे

भगवान कृष्ण की सजी मूरत में
चुपचाप समा गई थी मीरा जैसे